नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी इस रोचक पोस्ट पर, इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं की आखिर फांसी देने के बाद जल्लाद सरकार से कितना पैसा पाते हैं? जल्लाद हर जेल में नहीं पाए जाते, कई बार इन्हें एक जेल से दूसरी जेल बुलाया जाता है। देश में फाँसी देने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हैं, और बहुत कम लोगों को उनकी जानकारी होती हैं।
सबसे कठिन काम है फाँसी देना:
जल्लादों का काम अपराधियों को फांसी देना होता है। ये कोई ऐसा-वैसा काम नहीं है एक खौफनाक पेशा है जिसमें आप किसी की जान निकलने तक उसको लटकाकर रखते हैं। अपराधी जल्लादों के सामने मौत की भीख मांगते हैं, रो-रोकर उनका काम और बहुत ज्यादा मुश्किल कर देते हैं।
इन लोगों का मौजूद होना है जरूरी:
फाँसी देते वक्त जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट और ‘जल्लाद’ मौजूद रहते हैं। इनमें से कोई एक भी कम हुआ, तो फाँसी नहीं दी जा सकती। फांसी की सजा पर लोग जल्लाद के बारे में सुनकर कांप उठते हैं। जल्लाद को कई बार एक जेल से दूसरी जेल बुलाया जाता है। फाँसी का समय तय होता है इतने बजे, इतने मिनट, इतने सेकेंड तयशुदा समय पर जल्लाद को फाँसी देनी होती है।
यह लोग दे चुके हैं अपराधियों को फाँसी:
नाटा मलिक कोलकाता की अलीपुर जेल के जल्लाद हैं। धनंजय चटर्जी को बलात्कार के जुर्म में 14 अगस्त, 2004 को कोलकाता की अलीपोर जेल में फांसी दी थी, उन्होंने लगभग सौ लोगों को फांसी दी होगी। 26/11 हमले के आरोपी मोहम्मद अजमल आमिर क़साब को 21 नवंबर, 2012 को फांसी दी गई थी। यहां भी यरवदा सेंट्रल में जल्लाद मम्मू सिंह ने उसे फांसी पर लटकाया था।
यह परिवार का पेशा है फाँसी देना:
दरअसल देश में एक जल्लाद परिवार है वो मेरठ का पवन जल्लाद का परिवार हैं। तो इस बारे में पुश्तैनी जल्लाद परिवार के पवन ने रमक को लेकर खुलासे किए हैं। पवन के दादा-परदादा भी फांसी देने का काम करते थे। पवन को ही निर्भया हत्याकांड के दोषियों को सजा देनी है।
निर्भया हत्याकांड के दोषियों को देनी है सजा:
निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट चारों दोषी मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा सुना चुका है। अब इस फांसी की सजा का ट्रायल चल रहा है। फांसी के लिए बिहार के बक्सर सेंट्रल जेल में फंदा बनाने का ऑर्डर दिया जा चुका है।
सबसे कठिन काम है फाँसी देना:
जल्लादों का काम अपराधियों को फांसी देना होता है। ये कोई ऐसा-वैसा काम नहीं है एक खौफनाक पेशा है जिसमें आप किसी की जान निकलने तक उसको लटकाकर रखते हैं। अपराधी जल्लादों के सामने मौत की भीख मांगते हैं, रो-रोकर उनका काम और बहुत ज्यादा मुश्किल कर देते हैं।
इन लोगों का मौजूद होना है जरूरी:
फाँसी देते वक्त जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मैजिस्ट्रेट और ‘जल्लाद’ मौजूद रहते हैं। इनमें से कोई एक भी कम हुआ, तो फाँसी नहीं दी जा सकती। फांसी की सजा पर लोग जल्लाद के बारे में सुनकर कांप उठते हैं। जल्लाद को कई बार एक जेल से दूसरी जेल बुलाया जाता है। फाँसी का समय तय होता है इतने बजे, इतने मिनट, इतने सेकेंड तयशुदा समय पर जल्लाद को फाँसी देनी होती है।
यह लोग दे चुके हैं अपराधियों को फाँसी:
नाटा मलिक कोलकाता की अलीपुर जेल के जल्लाद हैं। धनंजय चटर्जी को बलात्कार के जुर्म में 14 अगस्त, 2004 को कोलकाता की अलीपोर जेल में फांसी दी थी, उन्होंने लगभग सौ लोगों को फांसी दी होगी। 26/11 हमले के आरोपी मोहम्मद अजमल आमिर क़साब को 21 नवंबर, 2012 को फांसी दी गई थी। यहां भी यरवदा सेंट्रल में जल्लाद मम्मू सिंह ने उसे फांसी पर लटकाया था।
यह परिवार का पेशा है फाँसी देना:
दरअसल देश में एक जल्लाद परिवार है वो मेरठ का पवन जल्लाद का परिवार हैं। तो इस बारे में पुश्तैनी जल्लाद परिवार के पवन ने रमक को लेकर खुलासे किए हैं। पवन के दादा-परदादा भी फांसी देने का काम करते थे। पवन को ही निर्भया हत्याकांड के दोषियों को सजा देनी है।
निर्भया हत्याकांड के दोषियों को देनी है सजा:
निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट चारों दोषी मुकेश, पवन, अक्षय और विनय को सुप्रीम कोर्ट मौत की सजा सुना चुका है। अब इस फांसी की सजा का ट्रायल चल रहा है। फांसी के लिए बिहार के बक्सर सेंट्रल जेल में फंदा बनाने का ऑर्डर दिया जा चुका है।
अफजल गुरु, कसाब को फांसी दे चुके हैं ये जल्लाद, आखिरी वक्त में पैर तक पकड़ लेते हैं अपराधी
Reviewed by Realpost today
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6:34 PM
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