जी हां ये सुनने में भले ही बड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन सत प्रतिशत सच है। फिर क्या था मरीज को डॉक्टर ने तत्काल को सर्जिकल ओटी में शिफ्ट किया तथा सर्जन को इमरजेंसी कॉल पर बुलाया। वहीं डॉक्टरों की टीम ने मरीज को प्राइमरी उपचार देकर उच्चस्तरीय उपचार के लिए नागपुर रैफर कर दिया।
उसके बाद परिवार वालों ने तुरंतघायल हिमांशु को नागपुर के न्यूरॉन हास्पिटल ले गए। जहां के डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर वापस छिंदवाड़ा भेज दिया। चार घंटे तक मर्चुरी में रखा गया जीवित व्यक्ति कोनागपुर से सोमवार सुबह 5:30 बजे निराश होकर लौटे परिजन को ड्यूटी डॉ. दिनेश ठाकुर ने पल्स जांच किया, उस समय मरीज की पल्स नहीं चलने से उसे मृत घोषित किया जिसके बाद शव को मर्चुरी में रखने के निर्देश दे दिया गया वहीं लेकिन पोस्टमार्टम की तैयारी कर रहे स्वीपर को मरीज के शरीर में हरकत महसूस हुई तो उसने तत्काल डॉ. निर्णय पांडे को बताया।
फिर क्या था तुरंत उस मरीज का उपचार शुरू कर दिया गया। मरीज के साले गन्नू भारद्वाज ने बताया कि इस दौरान मर्चुरी में करीब चार घंटे हिमांशु को रखा गया था।डॉक्टरों ने बताया था ब्रेन डेड घटना के बाद गंभीर रूप से घायल हिमांशु को छिंदवाड़ा के एक निजी हॉस्पिटल में बेहोशी की हालत में जाया गया था। जहां से भी उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया। प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. सीएम गेडाम ने बताया कि मरीज का रेशप्रेरेशन और पल्स नहीं चलने के कारण ब्रेन डेड मानकर मृत घोषित किया गया। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में मरीज का हार्ट और ब्रेन काम नहीं करता है। इसलिए डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित किया था।
उसके बाद परिवार वालों ने तुरंतघायल हिमांशु को नागपुर के न्यूरॉन हास्पिटल ले गए। जहां के डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर वापस छिंदवाड़ा भेज दिया। चार घंटे तक मर्चुरी में रखा गया जीवित व्यक्ति कोनागपुर से सोमवार सुबह 5:30 बजे निराश होकर लौटे परिजन को ड्यूटी डॉ. दिनेश ठाकुर ने पल्स जांच किया, उस समय मरीज की पल्स नहीं चलने से उसे मृत घोषित किया जिसके बाद शव को मर्चुरी में रखने के निर्देश दे दिया गया वहीं लेकिन पोस्टमार्टम की तैयारी कर रहे स्वीपर को मरीज के शरीर में हरकत महसूस हुई तो उसने तत्काल डॉ. निर्णय पांडे को बताया।
फिर क्या था तुरंत उस मरीज का उपचार शुरू कर दिया गया। मरीज के साले गन्नू भारद्वाज ने बताया कि इस दौरान मर्चुरी में करीब चार घंटे हिमांशु को रखा गया था।डॉक्टरों ने बताया था ब्रेन डेड घटना के बाद गंभीर रूप से घायल हिमांशु को छिंदवाड़ा के एक निजी हॉस्पिटल में बेहोशी की हालत में जाया गया था। जहां से भी उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया। प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. सीएम गेडाम ने बताया कि मरीज का रेशप्रेरेशन और पल्स नहीं चलने के कारण ब्रेन डेड मानकर मृत घोषित किया गया। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में मरीज का हार्ट और ब्रेन काम नहीं करता है। इसलिए डॉक्टर ने मरीज को मृत घोषित किया था।
रातभर रही मॉर्चुरी में और सुबह जिंदा हो गई लाश, पोस्टमार्टम के दौरान पकड़ा डॉक्टर का हाथ
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3:53 AM
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