आंखें नम कर देगी. यहां एक मां ने भूख से तड़प रहे अपने बच्चों के लिए अपने बाल मुंडवा कर बेच दिए ताकि उससे खाने के लिए कुछ पैसे मिल सकें. बाल सिर्फ़ 150 रुपयों में बिके. 100 रुपयों से उसने बच्चों के लिए खाना ख़रीदा, बाकी 50 से वो अपने लिए ज़हर लेने चली गई. वहां पहुंचते ही उसकी ज़िन्दगी पलट गई.
प्रेमा की कहानी दुनिया के सामने उसी दुकानदार की वजह से आई, जिसके पास वो ज़हर लेने गई थी. दुकानदार को प्रेमा पर शक हुआ तो उसने ज़हर देने से इंकार कर दिया. निराश हो कर प्रेमा पेड़ों के ज़हरीले बीज खाने लगी. उसे बड़ी मुश्किल से उसकी बहन ने रोका और वहीं से ये बात एक ग्राफ़िक डिज़ाइनर, बाला को पता चली तो उसने क्राउड फ़ंडिंग के ज़रिये सोशल मीडिया पर उसके लिए मदद मांगी.
प्रेमा और उसका पति एक ईंट की भट्टी में मज़दूरी का काम करते थे. पति सेल्वम कुछ अपना शुरू करना चाहता था, इसलिए लोगों से 2.5 लाख रुपये उधार लिए. बिज़नेस डूब गया तो कर्ज़दार तंग करने लगे. परेशान हो कर उसने आत्महत्या कर ली. 31 साल की प्रेमा पर अपने तीन बच्चों को खाना देने की मूलभूत ज़रूरत पूरी करने की मुसीबत थी. उसने दोस्तों, रिश्तेदारों से मदद मांगी, लेकिन निराशा हाथ लगी. उसे कहीं से पता चला कि बाल मुंडवाने के पैसे मिलते हैं, तो उसने अपने बाल मुंडवा लिए. जो पैसे मिले, उनसे वो अपनी ख़ुदकुशी का इंतज़ाम करने की सोच चुकी थी. लेकिन, कुछ नेक लोगों की वजह से आज उसकी ज़िन्दगी बदल चुकी है.
सोशल मीडिया पर उसका दुःख बांटने वाले कई लोग सामने आये और उन्होंने उसकी मदद की. इस वक़्त उसके पास 1.45 लाख रुपये हैं. सलेम के जिला प्रशासन ने उसकी मासिक विधवा पेंशन भी शुरू की. इस पूरे मामले में दूसरी सबसे अच्छी चीज़ ये हुई कि मदद के लिए ज़रूरी पैसे आने के बाद प्रेमा ने लोगों से कहा कि उसकी इतनी ही मदद काफी है. उसकी मदद के लिए सोशल मीडिया पर जो भी पोस्ट डाली गयीं हैं, उन्हें हटा लिया जाए. वो अपने बच्चों को अच्छा खाना खिला सकती है और उन्हें अच्छी तरह से पढाई भी करवाना चाहती है. साथ ही उसे ईंट की भट्टी में दोबारा काम मिल गया है.
प्रेमा की मदद का सबसे बड़ा श्रेय ग्राफ़िक डिज़ाइनर जी. बाला को जाता है. बाला की मां ने ग़रीबी की वजह से ख़ुदकुशी करने की कोशिश की थी. लेकिन, लोगों ने उन्हें बचा लिया. बाला की वजह से प्रेमा को नई ज़िंदगी मिली है. समाज को ऐसे ही लोगों की ज़रूरत है.
प्रेमा की कहानी दुनिया के सामने उसी दुकानदार की वजह से आई, जिसके पास वो ज़हर लेने गई थी. दुकानदार को प्रेमा पर शक हुआ तो उसने ज़हर देने से इंकार कर दिया. निराश हो कर प्रेमा पेड़ों के ज़हरीले बीज खाने लगी. उसे बड़ी मुश्किल से उसकी बहन ने रोका और वहीं से ये बात एक ग्राफ़िक डिज़ाइनर, बाला को पता चली तो उसने क्राउड फ़ंडिंग के ज़रिये सोशल मीडिया पर उसके लिए मदद मांगी.
प्रेमा और उसका पति एक ईंट की भट्टी में मज़दूरी का काम करते थे. पति सेल्वम कुछ अपना शुरू करना चाहता था, इसलिए लोगों से 2.5 लाख रुपये उधार लिए. बिज़नेस डूब गया तो कर्ज़दार तंग करने लगे. परेशान हो कर उसने आत्महत्या कर ली. 31 साल की प्रेमा पर अपने तीन बच्चों को खाना देने की मूलभूत ज़रूरत पूरी करने की मुसीबत थी. उसने दोस्तों, रिश्तेदारों से मदद मांगी, लेकिन निराशा हाथ लगी. उसे कहीं से पता चला कि बाल मुंडवाने के पैसे मिलते हैं, तो उसने अपने बाल मुंडवा लिए. जो पैसे मिले, उनसे वो अपनी ख़ुदकुशी का इंतज़ाम करने की सोच चुकी थी. लेकिन, कुछ नेक लोगों की वजह से आज उसकी ज़िन्दगी बदल चुकी है.
सोशल मीडिया पर उसका दुःख बांटने वाले कई लोग सामने आये और उन्होंने उसकी मदद की. इस वक़्त उसके पास 1.45 लाख रुपये हैं. सलेम के जिला प्रशासन ने उसकी मासिक विधवा पेंशन भी शुरू की. इस पूरे मामले में दूसरी सबसे अच्छी चीज़ ये हुई कि मदद के लिए ज़रूरी पैसे आने के बाद प्रेमा ने लोगों से कहा कि उसकी इतनी ही मदद काफी है. उसकी मदद के लिए सोशल मीडिया पर जो भी पोस्ट डाली गयीं हैं, उन्हें हटा लिया जाए. वो अपने बच्चों को अच्छा खाना खिला सकती है और उन्हें अच्छी तरह से पढाई भी करवाना चाहती है. साथ ही उसे ईंट की भट्टी में दोबारा काम मिल गया है.
प्रेमा की मदद का सबसे बड़ा श्रेय ग्राफ़िक डिज़ाइनर जी. बाला को जाता है. बाला की मां ने ग़रीबी की वजह से ख़ुदकुशी करने की कोशिश की थी. लेकिन, लोगों ने उन्हें बचा लिया. बाला की वजह से प्रेमा को नई ज़िंदगी मिली है. समाज को ऐसे ही लोगों की ज़रूरत है.
एक मां ने 150 रुपयों के लिए बाल मुंडवा दिए, ताकि बच्चों के लिए खाना ले सके और अपने लिए ज़हर
Reviewed by Realpost today
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4:07 AM
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